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कविता : राग भरे स्वर देना

हमें फॉलो करें कविता : राग भरे स्वर देना
लोरी अली 
मेरे फाग भरे गीतों को, अपने राग भरे स्वर देना
मीत! मेरे मीठे सपनों को अपनी प्रीत का घर देना
 
बासंती मौसम में बहकी मधुमासी-सी हलचल में
मेरी सांसों के उपवन को प्रीत पवन से भर देना
 
हर धड़कन में बिछे पलाश के स्वागत आतुर आलिंगन को 
अपने हाथों मंथन कर के प्रेम पलाश-सा कर देना 
 
प्रियतम मेरे हाथों में जो निज सपनों की माला है
इसे समर्पण सेतु की पहली गांठ का वर देना
 
परिचय की इन गांठो को, परिणय के बंधन देकर 
मेरे जीवन की संगत पर, अपनी सरगम के स्वर देना

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