शब्दों की बस्ती में दुनिया अपनी
शब्दावली का शागिर्द हूंं
मैंं शिक्षार्थी शांति से शब्दों को निहारूंं
शब्दों के इर्द-गिर्द मे खोया हूंं
अर्थ प्रयोग पर्याय जाति अनुसार
शब्दो के कागजी निवास न्यारे-न्यारे
कोई डूबा है शहद में यारों
तो कोई कटु शब्द नीम को प्यारे
ढूंंढ-ढूंंढकर दरवाज़ा खटखटाना
चाहत के शब्दों को निमंत्रण देता हूंं
रोज नई एक कविता से विवाह अपना
शब्दों को बारी-बारी बारात में
शामिल करता हूंं
कोई कविता आनंदविभोर हो उठती
तो कोई व्यथा की कथा सुनाती है
तरह-तरह के किस्से-कहानी सुनाकर
राहें जिंंदगी की सजाती है ...