Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कवि‍ता : बेटियों के गीत

हमें फॉलो करें कवि‍ता : बेटियों के गीत
webdunia

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'

डगर-डगर चली बिटिया
गुनगुनाते हुए लोक गीत
 
जो उसने सीखे थे मां से
रच-बस चुके थे सांसो में
 
हर त्योहारों के मीठे गीत
सखियां बन जाती कोरस
 
स्वर मुखरित हो उठते तो
कोयल कूक हो जाती फीकी

ठहर जाते लोगों के भी पग
कह उठते कितना अच्छा गाती
 
बेटियां अब कम हो जाने से
हो गए है त्यौहार भी फीके
 
गीत होने लगे आंगन से गुम
बेटे त्योहारों पर गीत बजाते
 
सुनने को अब पग कहा रुक पाते
लोक गीतों और बेटियों को
 
जब सब मिलकर बचाएंगे
सूने आंगन फिर सज जाएंगे
 
सुर करेंगे हवाओं  से दोस्ती
बोल कानो में मिश्री घोल जाएंगे

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

निक्की हेली को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत चुनने पर की ट्रंप की प्रशंसा