Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दी कविता : खिले टेसू

हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : खिले टेसू
webdunia

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'

खिले टेसू 
ऐसे लगते मानों 
खेल रहे हो पहाड़ों से होली। 
 
सुबह का सूरज 
गोरी के गाल 
जैसे बता रहे हों 
खेली है हमने भी होली 
संग टेसू के। 
प्रकृति के रंगों की छटा
जो मौसम से अपने आप 
आ जाती है धरती पर 
फीके हो जाते हैं हमारे 
निर्मित कृत्रिम रंग। 
 
डर लगने लगता है 
कोई काट न ले वृक्षों को
ढंक न ले प्रदूषण सूरज को। 
 
उपाय ऐसा सोचें 
प्रकृति के संग हम 
खेल सकें होली। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

70 रोगों की एक दवा है सुहागा, फिल‍हाल जानें 5 फायदे