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हिन्दी कविता : अनेकात्मता

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राजकुमार कुम्भज

एक पंक्ति की आत्मा में 
असंख्य आत्माओं की पंक्ति मिले 
फिर उन पंक्तियों की आत्माओं में 
आत्माओं की एक आत्मा मिले 
कुछ-कुछ इसी तरह से शुरू हो 
एकात्मता का वह रास्ता 
जिसमें हो अनेकात्मता 

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