दूर देश से फिर तितलियां,
इस उपवन में आई हैं।
रंग गुलाबी फूल देखकर,
चक्कर कई लगाई हैं।
कभी बैठती हरे पुष्पों पर,
फिर उसपे उड़ जाती हैं।
महक उड़ाती जब कलियां हैं,
देख उन्हें इठलाती हैं।
भाव फूल देते जब उसको,
खुद उड़-उड़कर मुस्काती हैं।
चंचल-चितवन उनकी होती,
वे खुश फूलों पर छाई हैं।
रंग गुलाबी फूल देखकर,
चक्कर कई लगाई हैं।
बबलू-डबलू उन्हें पकड़ने,
पीछे-पीछे जाते हैं।
असफल होकर मुंह लटकाए,
वापस घर को आते हैं।
दृश्य देख आश्चर्य खूब होता,
क्या उनकी चतुराई है।