Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

poem on Kargil: मनकही

Advertiesment
हमें फॉलो करें poem on Kargil: मनकही
webdunia

गरिमा मिश्र तोष

एक लौ उम्मीद की रौशन कर लो
एक डोर साथ की तुम थाम लो

कुछ मुट्ठी भर जवानों का 
मुश्किल है यलगार जान लो
 
सब जुङ जाओ एक हो जाओ
दुश्मन से है मिली ललकार जान लो

एक लौ उम्मीद की रौशन कर लो
एक डोर साथ की तुम थाम लो
 
एक साथ खङे हो शमशीर बनो  
सब छोङ चले घर बार मान लो
 
एक लौ उम्मीद की रौशन कर लो
एक डोर साथ की तुम थाम लो

अब वतन को देना हके यार
लहु चुकाएगा कर्जेयार ठान लो
 
एक लौ उम्मीद की रौशन कर लो
एक डोर साथ की तुम थाम लो
    
कुछ जख्म मिले भर जाएंगे
वतन पर जाँ निसार जान लो 
 
एक लौ उम्मीद की रौशन कर लो
एक डोर साथ की तुम थाम लो
 
फिर जन्में मादरे वतन की खातिर
ले कर जज्बात के तूफान ठान लो
       
एक लौ उम्मीद की रौशन कर लो
एक डोर साथ की तुम थाम लो

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Domestic violence in lockdown: सामीप्य से उपजा विषैला दाम्पत्य