बापू आपकी अंतिम निशानी के रूप में
हमारे पास है राजघाट
सुख और दुख दोनों में जब तब
दिलाता रहता है हमें आपकी याद।
सदा आपके पदचिन्हों पर चलेंगे
यहीं पर हमने खाई थी कसम
आजादी से लेकर आज तक
आपके पदचिन्ह ही खोज रहे हैं हम।
अब तक मिले पदचिन्हों से हमने
हर शहर में महात्मा गांधी मार्ग बनाया है
यह आपके नाम का ही प्रताप है बापू
कि इस पर बसे लोगों ने तबीयत से कमाया है।
जब तक आपके सारे पदचिन्ह नहीं मिल जाते
तब तक हमने इतना अवश्य किया है
कि कोई और आपके जैसे पदचिन्ह नहीं बना दे
उन्हें रोकने का हमने तय किया है।
अब जो कोई आप सरीखे पदचिन्ह बनाएगा
हमसे बहुत मार खाएगा
यदि उसके पदचिन्हों में आपके गुम हो गये तो
हमसे बहुत प्रताड़ना पाएगा।
सारे पदचिन्ह मिल जाने पर ही हम दूसरों को
सत्य और अहिंसा की राह पर चलने देंगे
आपको अमर रखने के लिए ये वादा है बापू
हम कोई दूसरा गांधी नहीं उभरने देंगे।
यह कविता ठेला शीर्षक से प्रकाशित काव्य संकलन से ली गई है।