Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Tuesday, 1 April 2025
webdunia

कविता : हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था

Advertiesment
हमें फॉलो करें काव्य संसार
webdunia

रीमा दीवान चड्ढा

हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था
किसे कहां पता भीतर हाला था
 
लब की शोख हंसी चेहरे का नूर
ख़ुद को तपा कर उसने ढाला था
 
जिस्म की ज़रूरत जानते हैं सब
रूह की चाह को उसने पाला था
 
तुम नाम देते हो हुनर का जनाब
दर्द को आंसुओं में संभाला था
 
मीना ने मय में बहा दी ज़िंदगी
सलीका मुहब्बत का आला था
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नींबू पानी नुकसानदेह भी है जानिए कैसे?