भंवरे मंडराते अब फूलों पर,
हवा बहे स्वच्छंद।
कलियां महक बिखेर रही हैं,
मौसम आया वसंत।
चिड़ियों ने कलरव शुरू किया है,
कोयल गीत सुनाती।
मोर मतवाला होके नाचे,
ऋतु वासंती भाती।
रंग-बिरंगे रंगे हैं उपवन,
छाया है आनंद।
कलियां महक बिखेर रही हैं,
मौसम आया वसंत।
लौकिक छटा निहारे अम्बर,
धरती मां मुस्काती।
मधुर मिलन होने वाला,
खड़ी शोभा सकुचाती।
सूर्य किरण बिखराता अपनी,
चंचल करती चन्द्र किरण,
कलियां महक बिखेर रही हैं,
मौसम आया वसंत।