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हिन्दी कविता : राजनीति के गलियारों से...

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डॉ. रामकृष्ण सिंगी

बिहार की राजनीति में कैसी यह घुटन है
महागठबंधन है, पर अंतरकलह है,
सिद्धांतों की अनबन है।
 
शीर्ष सत्तापति के स्वच्छ शासन,
पारदर्शी प्रशासन के कौल के खिलाफ,
लालू परिवार का न सत्ता छोड़ने का,
न चलन बदलने का कोई मन है।।1।।
 
सुना था भ्रष्टाचार का अजगर निगल जाता है आदमी को,
यहां तो आदमी अजगर को निगलता है, 
अपढ़ महिला का या कि अल्प पढ़े युवकों का चलाया, 
यहां शान से प्रशासन चलता है।
 
गले तक फंसा दलदल में बाहुबली दावा करता है
बाहर आकर भूचाल ला देने का,
बिहार की राजनीति में चलता है बेखौफ सब,
सारा आलम बस विवश हाथ मलता है।।2।।
 
लक्ष्य तो स्वयं आ छुपा है जैसे,
शाह-मोदी के तीर कमान में,
विपक्ष का बिखराव खुलकर उजागर हुआ,
राष्ट्रपति चुनाव अभियान में।
 
ऐसे ही चला तो कैसे बचा पाएगा,
विपक्ष अपनी रही-सही प्रतिष्ठा भी,
इस उभरती शक्तिशाली युति के सामने,
आगामी महाचुनाव के मैदान में।।3।।

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