होली रचनाएं : सेदोका और माहिया छंद में...
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ब्रज की बाला
कान्हा ने रंग डाला
उमड़ा ब्रज गांव
उड़ा गुलाल
मस्तीभरी उमंग
सतरंगी चेहरे।
चुनरी लाल
कुमकुम केसर
होंठ रंगे गुलाबी
फागुन आया
मधुवन महका
लाल टेसू दहका।
होली आई रे
बौराई अमराई
भगोरिया नचाई
पलाशी रंग
साजन बरजोरी
चोली रंग भिगोई।
माहिया 1
(तीन पदी 12, 10, 12 मात्राएं)
रोम-रोम सहर उठा
ये फागुनी हवा
तन-मन में चढ़ा नशा।
आयो फागुन झूमत
ऋतु बसंत के साथ
तन मोहित, मन हर्षित।
राधा खेलत होरी
ग्वालन बालन संग
श्याम करत बरजोरी।
हवा में बिखरे रंग
पीली चुनरिया
बुरांस के दरख्तों पर।
रंगभरी पिचकारी
होली में मनभर
कपट कन्हाई मारी।