Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दी कविता : अंतिम यात्रा...

हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : अंतिम यात्रा...

एमके सांघी

सहारा न बन सके जिंदगी में कभी
वे भी कंधा देकर लाए, पंचकुईया श्मशान में
 
खुदा का शुक्र है जो बेमौत सड़क पर न मरे
साबूत के साबूत पहुंच गए, पंचकुईया श्मशान में
 
गिला था उनसे जो अंत समय भी घर न आए
शायद सीधे ही पहुंच गए हों, पंचकुईया श्मशान में
 
उजाड़ और डरावने श्मशान हुआ करते थे कभी
हरियाली और चमन है आज, पंचकुईया श्मशान में
 
कब तक फूंकते रहेंगे मुर्दे लकड़ी-कंडों के संग
अब बिजली मशीन आबाद है, पंचकुईया श्मशान में
 
रह गई है रकम बाकी जिन सज्जनों की और
जा रहा हूं, ले आएं हिसाब, पंचकुईया श्मशान में
 
किधर सिर, किधर धड़ हो, बहस करने लगे चौधरी
एक बार लिख क्यों नहीं देते, पंचकुईया श्मशान में
 
अच्छी कटी जिंदगी जब तक हंसते-हंसाते रहे ए सनम
तुझे रुलाकर निकले हो तो हो गए खाक, पंचकुईया श्मशान में। 

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

फनी कविता : बहुत दिन हो गए