Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दी कविता : उजड़ी बस्ती

हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : उजड़ी बस्ती
-कुसुम शर्मा
 
बात बिगड़ी, फिर से बना ली जाएगी,
उजड़ी बस्ती, फिर से बसा ली जाएगी।
 
शहर में कोई भी, न हो मायूसों ख्वार, 
जो सहर होगी, रात काली जाएगी।
 
यूं ही जाते-जाते, आज वो कहते गए, 
हां तेरी हसरत, भी निकाली जाएगी।
 
उस बेवफा को, बावफा कह देंगे हम, 
पर आबरू सबकी बचा ली जाएगी।
 
हैं गर राहों में, कोरा पतझड़ छाया,
हौसलों से बहारें बिछा ली जाएंगी।

********* 
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या है पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा का राज, इन 15 बिंदुओं से जानिए संपूर्ण रथयात्रा का महत्व