Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

वसंत पंचमी कविता : बसंत ऋतु आई है...

Advertiesment
हमें फॉलो करें vasanti poem in hindi

शम्भू नाथ

अलौकिक आनंद अनोखी छटा।  
अब बसंत ऋतु आई है।  
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती।  
पुरवा पंख डोलाई है।

  
महक उड़ी है चहके चिड़िया।
भंवरे मतवाले मंडरा रहे हैं।  
सोलह सिंगार से क्यारी सजी है।  
रस पीने को आ रहे हैं।
  
लगता है इस चमन बाग में।  
फिर से चांदी उग आई है।। 
अलौकिक आनंद अनोखी छटा।  
अब बसंत ऋतु आई है।  
कलिया मुस्काती हंस-हंस गाती।  
पुरवा पंख डोलाई है। 

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi