आज 18 वर्षों बाद बालिग हो गया है 'वेबदुनिया' हमारा,
आज भी ह्रदय में बसा है वो IIW पे जन्म तुम्हारा,
जब सारा भारत हुआ था दीवाना तुम्हारा और हमारा..
विनयजी ने भेजा था 'नईदुनिया', जन्म से पूर्व तुम्हारा,
घंटों-घंटों और सुबह-शाम बस मन में था ख़याल तुम्हारा,
दिन-रात और महीनों–महीनों बस एक ही नशा था हमारा,
बस तुमको विश्व का पहला हिंदी पोर्टल है बनाना,
आज बालिग हो गया है 'वेबदुनिया' हमारा।
वो रात दो बजे अन्ना के पोहे खाने जाना और वो राजबाड़े का नजारा,
ई-पत्र और चौघड़िया के लांच पर मिठाइयां खाना हमारा,
वो दिन-रात काम करना और 'नईदुनिया' की बंशी वाली चाय
और समोसे का चटखारा,
वो जयदीप के फीचर डेस्क पे टिके रहना, जब तक वो साथ न दे चाय पे हमारा,
वो सांघीजी और विनयजी को तंग करना हमारा,
क्या जोश था हमारा और क्या नशा था तुम्हारा,
मेरा-तुम्हारा सब बन गया था हमारा,
आज बालिग हो गया है 'वेबदुनिया' हमारा।
क्यों न आज प्रण करें और रचें नया कोई इतिहास सुनहरा...
आज बालिग हो गया है 'वेबदुनिया' हमारा..
- अमित गोयल