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हिन्दी कविता : आफत...
आती है जिंदगी में
आफत कभी-कभी,
पड़ती है जान लोगों की
देखो उत्तरांचल में
कैसी घटी कहानी,
हुआ विनाश ऐसा।
मिट गई निशानी।
कुदरत ऐसा अचंभा
दिखाती है कभी-कभी,
आती है जिंदगी में
आफत कभी-कभी,
पड़ती है जान लोगों की
सांसत में कभी-कभी,
कितने फंसे पड़े थे
कितने फंसे पड़े थे।
कितने बहे थे गंगा में
कितने सड़े पड़े थे,
देखा है इन आंखों ने
बर्बादी कभी-कभी।
आती है जिंदगी में
आफत कभी-कभी,
पड़ती है जान लोगों की
सांसत में कभी-कभी।
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