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रोहित जैन
दिल जला उस की तस्वीर जल गई होगी
इश्क़ की आखरी तहरीर जल गई होगी
नज़र उठी तो बिजली ने भी खैर मांगी
जो झुकी तो शमशीर जल गई होगी
तूने तिनका समझ के फूँक दिया
आशियाने की तक़दीर जल गई होगी
तू जो उतरी हक़ीक़त की तरह आँखों में
हर ख्वाब की तदबीर जल गई होगी
हश्र का दिन था जब मिली थी नज़र
रुसवाइयों की तक़रीर जल गई होगी
तू मिली तो ज़िंदगी जन्नत सी हुई
मेरी ज़ीस्त-ए-ताज़ीर जल गई होगी
तेरी ज़ुल्फ़ की क़ैद को देख कर हाए
दुनिया की हर ज़ंजीर जल गई होगी
मेरे पहलू में देख कर उसको
बहुतों की ताबीर जल गई होगी।