sawan somwar

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

घरौंदा बिखर गया होगा

Advertiesment
हमें फॉलो करें घरौंदा  ग़ज़ल   योगेंद्र दत्त शर्मा
योगेंद्र दत्त शर्मा
WDWD
वो शख़्स अपने ही साये से डर गया होगा,
कभी जो भूल से वो अपने घर गया होगा।

ये क्या हुआ कि हवाओं में गुफ्तगू न रही,
सरे-शहर कोई आईना धर गया होगा।

ज़रा-सी बात ज़रा-सी नहीं रही होगी,
ज़रा-सी बात पे पर्दा घर गया होगा।

चमन में ज़िक्र ये ख़ुशबू का किसने छेड़ दिया,
हरेक फूल का चेहरा उतर गया होगा।

कोई मुग़ालता मन में नहीं रहा होगा,
जब एक हादसा सर से गुज़र गया होगा।

बता रही है ये गुज़रती ये बेरहम आँधी,
वो एक नन्हा घरौंदा बिखर गया होगा।

वफ़ा के नाम पे दिल में हुई ख़लिश कैसी,
क़रीब ही से मेरा हमसफ़र गया होगा।

लिपट के पेड़ से रोता है कौन रात गए,
ये किसका ख़ुशनुमा अहसास मर गया होगा।

साभार : समकालीन साहित्य समाचार

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi