-
रोहित जैन
जिंदगी लम्हों में सिमट जाएगी
रूह टुकड़ों में बँट जाएगी
आज फिर तन्हाई साथ लाई उन्हें
आज फिर नींद उचट जाएगी
अब तुम आ ही गए खयालों में
रात उदासी में ही कट जाएगी
शाम आई चमक उठी यादें
तन्हाई सीने से लिपट जाएगी
जरा आके तोड़ ही दो दिल को
धुंध ये इश्क की छट जाएगी
आज भी दिल को इक उम्मीद सी है
लेखनी किस्मत की पलट जाएगी
इतनी हल्की नहीं है चोट मेरी
के बस मरहम से ही घट जाएगी
तुम भी मुझको कोई बद्दुआ दे दो
मौत दो पल को तो हट जाएगी
नहीं मालूम था उसे बचाने में
कश्ती मेरी ही उलट जाएगी।