रोहित जैन
जाँ देके हमने दिल को सँभाला है यहाँ पर
कुछ ऐसे उसकी याद को टाला है यहाँ पर
अब सोचते हैं मौत से ही चैन पाएँगे
कुछ मार ज़िंदगी ने यूँ डाला है यहाँ पर
दम घुट रहा था मेरा अंधेरों में प्यार के
दिल में ग़मों का ही तो उजाला है यहाँ पर
मरने के इंतज़ार में जीते हैं देखिए
कैसा ग़ज़ब ये खेल निराला है यहाँ पर
बस याद कर रहा हूँ मै जलवा-ए-यार को
बे-बादा मस्तियों को यूँ पाला है यहाँ पर
ऐ नाख़ुदा तू साहिलों से दूर रख मुझे
हर शख़्स वहाँ ड़ूबने वाला है यहाँ पर
इतना नहीं था लाल ये रंगे हिना कभी
मसल किसी का दिल कहीं डाला है यहाँ पर
ना चाँद ही ड़ूबा कहीं ना ही हुई है रात
'रोहित' तेरा ही दिल है जो काला है यहाँ पर।