अजित श्रीवास्तव
गाँधी लड़ रहा है,
कहीं बुद्ध लड़ रहा है ,
इस दौर का हर व्यक्ति
एक युद्ध लड़ रहा है ,
है अमेरिकी निगाह
अब हिंदोस्तान पर ,
आतंक की चर्चा यहाँ
सबकी जुबान पर ,
महँगाई चढ़ी जा रही है
आसमान पर ,
जूँ रेंगती नहीं है अब
किसी के कान पर ,
मूर्खता की सीढ़ियाँ
प्रबुद्ध चढ़ रहा है ,
इस दौर का हर व्यक्ति
एक युद्ध लड़ रहा है।
साभार :कथाबिंब