सूर्योदय की पहली किरण हूँकोयल की कुहकती आवाज हूँ।विशाल समंदर में सूर्य का प्रतिबिंब हूँहिमालय का अनुपम सौंदर्य हूँ।सरिता का प्रवाह हूँसुमन की सुंदरता हूँ।ईश्वर की अद्भुत कृति हूँप्रकृति हूँ मैं, प्रकृति हूँ।
दूषित न करो, सँवारो मुझे
तुम्हारी ही छवि हूँ।
प्रकृति हूँ मैं
प्रकृति हूँ मैं।
साभार : लेखिका 08