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हिन्दी बढ़ रही है: डॉ. कविता वाचक्नवी

साहित्यकार डॉ. कविता से विशेष मुलाकात

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हिन्दी बढ़ रही है। कम्प्यूटर पर भी यह अच्छी-खासी नजर आने लगी है। ब्लॉग तो ठीक, तकनीकी बातें भी कम्प्यूटर पर हिन्दी में उपलब्ध हैं। मध्यप्रदेश हिन्दी का गढ़ है। यहाँ के निवासी बहुत अच्छी हिन्दी बोलते हैं। यह कहना है साहित्यकार डॉ. कविता वाचक्नवी का। ब्लॉग लेखन में उनकी खासी पहचान है तथा कम्प्यूटर पर हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने के प्रयासों में वे अग्रणीय रहती हैं

लंदनवासी डॉ. कविता कहती हैं कि इन दिनों हिन्दी में भी ब्लॉग लेखन खूब हो रहा है लेकिन इसका ज्यादा हिस्सा कुछ खास नहीं होता। वे कहती हैं- गंभीर व वैचारिक ब्लॉग मात्र 5 प्रतिशत होता है बाकी 95 प्रतिशत छपास की भूख पूरी करने के लिए लिखते हैं। कम्प्यूटर पर हिन्दी के विस्तार बाबत वे कहती हैं कि हिन्दीभाषियों का बाजार बढ़ रहा है सो तमाम बड़ी कंपनियाँ इस ओर आकर्षित हो रही हैं, इसलिए तरह-तरह के टूल्स आ गए हैं।

हिन्दी की पत्रिकाएँ, अखबार से लेकर अच्छा साहित्य व अनेक तरह की किताबें यहाँ तक कि पारिभाषिक शब्दकोष भी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। इस सिलसिले में वे सलाह देती हैं कि कम्प्यूटर पर जब भी हिन्दी में काम करना हो तो हिन्दी ब्राउजर ही चुनें। इससे पता चलता है कि कितने लोग हिन्दी में काम करने लगे हैं। इसी के आधार पर आगे की नीतियाँ तय की जाती हैं।

वे कहती हैं कि बोलियों को भाषा का दर्जा दिए जाने से हिन्दी पर खतरा मँडराने लगा है। यह दौर बाजारवाद का है। जो शक्तिशाली होगा वही चलेगा सो हमें हिन्दी को शक्तिशाली बनाने हेतु जनजागृति की जरूरत है। वे इस पर दुःख जताती हैं कि आज बहुत से घरों से हिन्दी खासतौर से देवनागरी लिपि गायब होती जा रही है। यह अच्छा संकेत नहीं है।

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