Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भूकंप राहत कोष

सुकेश साहनी

Advertiesment
हमें फॉलो करें भूकंप राहत कोष
WDWD
भूकंप प्रभावित क्षेत्र में निरीक्षण के लिए जा रहे बड़े साहब ने सहायक अभियंता से कहा, आपको पता ही है कि मैं कल उत्तरकाशी जा रहा हूँ। सुना है,वहाँ जबरदस्त ठंड पड़ रही है। भूकंप पीड़ितों के लिए जो बजट हमें मिला था, उसमें अभी दस हज़ार शेष हैं।

इसी मद से आप मेरे लिए दस्ताने,ऊनी टोपी, सन ग्लासेस, जैकेट, स्लीपिंग बैग और दौरे में खाना गर्म रखने के लिए कैसेरोल का एक सैट खरीद लें।

सर, छोटे साहब ने सकुचाने का सुंदर अभिनय करते हुए कहा, ---अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं भी एडजस्ट करवा लूँ।

ठीक है---ठीक है---बड़े साहब ने जल्दी से कहा---पर देखिएगा हमारा कोई आइटम छूट न जाए औ...र...हाँ.... जैकेट और स्लीपिंग बैग हजरतगंज की फुटपाथ पर विदेशी सामान बेचने वालों से ही खरीदिएगा, वे बिल्कुल असली माल रखते हैं।

छोटे साहब के जाने के बाद वह काफी निश्चिन्त नज़र आ रहे थे। एकाएक उन्होंने कुछ सोचा और फिर घंटी बजाकर बड़े बाबू को बुलाया।
बड़े बाबू, वह गर्व से बोले-इस महीने हमारा दो दिन का वेतन भूकंप राहत कोष में भिजवाना न भूलिएगा।
साभार: लघुकथा.कॉम

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi