Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

संवाद और बधाई

लघुकथाएँ

Advertiesment
हमें फॉलो करें संवाद और बधाई
संवाद
प्रिया सुधीर शुक्ल
WDWD
हमारे परिवार में सभी व्यस्त हैं। पापा बैंक कर्मचारी हैं। माँ शिक्षिका हैं। भैया एक प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर हैं। मैं एमसीए कर रहा हूँ। घर में दादाजी भी हैं, रेलवे से रिटायर्ड। पापा शाम को देर से आते हैं, थके होते हैं, थोड़ी देर टीवी देखते हैं, खाना खाते हैं, फिर सो जाते हैं।

माँ स्कूल से आती हैं, घर के काम निबटाती हैं, कभी-कभी उनके पास 'करेक्शन वर्क' भी होता है, कभी कॉलोनी में किसी कार्यक्रम में चली जाती हैं। भैया देर रात तक लैपटॉप पर बिजी रहता है। मेरे मोबाइल पर भी कभी कॉल, कभी मैसेजेस आते रहते हैं।

कुल मिलाकर हम सब व्यस्त हैं। सब अपने समय एवं सुविधानुसार आते हैं, खाना खाते हैं और सो जाते हैं। कभी-कभी मैं दादाजी के पास बैठकर गपशप कर लिया करता हूँ। कल बातों-बातों में मैंने कहा- दादू, कम्युनिकेशन कितना 'ईजी' हो गया है ना? कितनी सुविधाएँ हो गई हैं। मोबाइल, इंटरनेट, ई-मेल।'

दादाजी एक लंबी साँस लेकर बोले- 'तुम बिलकुल ठीक कहते हो । संवाद साधने के साधन तो बहुत बढ़ गए हैं, फिर भी पता नहीं क्यों एक ही परिवार में रहते हुए आज हम सब एक-दूसरे के लिए 'नॉन रीचेबल' हैं?' दादाजी का प्रश्न मेरे सामने मुँहबाए खड़ा था। मैंने मन में दोहराया- हाँ, हम आपस में मिलते नहीं, बोलते नहीं, एक छत के नीचे जरूर हैं पर सच 'नॉन रीचेबल' ही तो हैं?

बधा
प्रीति खत्र
अपने भाई प्रफुल्ल के ऊँचे पद पर प्रमोशन हो जाने की खबर सुनकर भारती खुशी से नाच उठी। पति सुनील ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'हम लोग फोन से भैया- भाभी को बधाई दे देते हैं।'

भारती बोली, 'फोन से नहीं, मैं तो इस खुशी के अवसर पर उनके पास जाकर बधाई दूँगी। रात की ट्रेन से मैं चली जाऊँगी और एक दिन बाद लौट आऊँगी। पास ही तो जाना है।' दूसरे दिन मन में खुशी व उत्साह लेकर भाई के घर पहुँची।

उस समय भाई घर पर ही था। भारती उसे बधाई देते हुए गले से लिपट गई और लाड़ से इतराते हुए बोली, 'भैया इस प्रमोशन पर मैं तो एक बढ़िया-सा गिफ्ट व ढेर सारी मिठाई लूँगी।' भैया ने उसके सिर पर हाथ फेरकर कहा- 'हाँ ठीक है, ले लेना। पहले सफर की थकान तो मिटा ले।'

webdunia
WDWD
नहाने के लिए बैग से कपड़े निकालने वक्त बाजू के कमरे में आती भाभी की धीमी आवाज भारती के कानों में पड़ी, 'हद हो गई, प्रमोशन की बात सुनी नहीं कि माँगने चली आई। अरे बहनें तो ऐसे ही मौके तलाशती रहती हैं।'

भाभी के ये उद्गार सुनकर भारती की सारी खुशी व उत्साह ठंडा पड़ गया। उसकी आँखों से झरझर आँसू बहने लगे। वह सोच रही थी- बेवजह ही यहाँ आई। इससे तो फोन पर बधाई दे देती तो अच्छा था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi