-
नरेंद्र गौड़
'
स्साले शराब की तस्करी करता है'- पुलिस वाले ने उसे रँगे हाथों बोतलों की पेटी समेत पकड़ लिया। वह हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया - 'नहीं साब... नहीं, मैं तो बस आज ही।''
आज ही के बच्चे, चल थाने, तेरे होश ठिकाने लगाता हूँ।' नहीं हवलदार साब, मैं बर्बाद हो जाऊँगा... मेरे छोटे-टोटे बच्चे हैं.. मुझ पर तरस खाइए, मुझे छोड़ दीजिए। वह रो ही पड़ा था। अच्छा ठीक है... मैं तेरे पे तरस खाता हूँ। तू एक काम कर, पाँच सौ रुपए निकाल और किसी दूसरे आदमी का नाम बता जो शराब की अवैध सप्लाई करता है। इस शर्त पर मैं तुझे छोड़ सकता हूँ।' |
'स्साले शराब की तस्करी करता है'- पुलिस वाले ने उसे रँगे हाथों बोतलों की पेटी समेत पकड़ लिया। वह हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया - 'नहीं साब... नहीं, मैं तो बस आज ही।' |
|
|
उसने पुलिसवाले को पाँच सौ रुपए दिए और एक दूसरे आदमी का पता बता दिया जो शराब की अवैध सप्लाई करता है। अगले दिन पुलिस वाले ने उसे भी दबोच लिया और किसी दूसरे का नाम जो शराब की अवैध सप्लाई करता है, पूछकर छोड़ दिया।
भई मान गए, पुलिस वाले का चेन सिस्टम और भ्रष्टाचार दोनों को।
साभार- मसि कागद