Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हकदार

Advertiesment
हमें फॉलो करें हकदार
- कृष्णा अग्निहोत्र

WDWD
अपने किराए के छोटे से घर को जब ठीक-ठाक कर उसने दरवाजा बंद किया तो उसे एक पिल्ले की कूं-कूं ने चौंकाया।

चूंकि आवाज पलंग के पास डले सोफे के नीचे से ही आ रही थी, उसने झुककर नीचे देखा तो एक दुबला-पतला बदसूरत पीले रंग का पिल्ला बैठा था।

क्रोध से चीख उसने डंडा खोजा व ठोंक बजा उसे मारकर बाहर निकाला। दूसरे दिन उस पिल्ले की चीखने की तेज आवाज सुन जब उसने बाहर झाँका तो मकान मालिक डंडे से उस कुत्ते को पीट रहे थे।

चलो अच्छा है, अब अंदर नहीं घुसेगा हालाँकि उसे थोड़ी दया भी आ रही थी, लेकिन दूसरे दिन सुबह ही उस पिल्ले की चीखने की आवाज पुनः आ रही थी। वह मकान मालिक की कार के नीचे दुबका बैठा था। हैरत से उसने पूछा- 'इतनी मार खाकर भी यह फिर यहाँ क्यों आ जाता है?'

'सुना है साले की माँ ने इसे यहीं जन्म दिया था। शायद यह इसे अपनी ठौर समझता है।' बात यूँ थी कि वह पिल्ला कहीं न कहीं घर में पड़ा ही रहता है। उसने इसी बीच एक लड़के को काम पर रखा।

मकान मालकिन कुत्ते को कभी-कभी बची रूखी-सूखी रोटी डाल देती पर नौकर को नाश्ता-चाय-भोजन देती। लड़का हिल गया सो उसे कपड़े भी मिलने लगे व प्यार से उसे वह बेटा राधे कहती।

एक रात वह राधे को पुकारने लगी तो वह आया नहीं, तभी पिल्ले की चीखने की आवाज इतनी तेज हुई कि उसने बाँस उठा उसे पीटने हेतु बाहर दौड़ लगाई पर जैसे ही कुछ रोशनी में वह आई, यह देखकर आश्चर्यचकित रह गई कि वह पिल्ला राधे को ही पकड़े था।

राधे अपने हाथ की पोटली से उसे जोर-जोर से मार रहा था- 'छोड़ साले छोड़' पिल्ला था कि छोड़ने को तैयार ही न था।

तुम-राधे! तुम तो पीछे सो रहे थे पर राधे ने उत्तर न देकर बाहर दौड़ लगा दी। उसके हाथ की पोटली वहीं जल्दी में छूट गई। उसने पोटली खोली तो उसमें चांदी के गहने व पीतल की सजावटी वस्तुएँ व दो-तीन कीमती कपड़े भी थे। पिल्ला उसे देखते ही कूं-कूं कर डरकर पीछे खिसकने लगा।

आज पहली बार इस मरियल कुत्ते से उसे घृणा नहीं हुई। उसके सर पर हाथ फिरा वह आँसू भर बोली- प्यार के हकदार तो तुम हो, जो सूखी रोटी का नमक अदा कर रहे हो। मेरी भूल थी जो मैं तुम्हारी सूरत देखती रही, सीरत नहीं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi