इटली के महान मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट असोजियोली ने एक बार कहा था कि आजकल आध्यात्मिक कारणों से पैदा होने वाली उथल-पुथल बढ़ती जा रही है। क्योंकि ऐसे लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है जो जाने-अनजाने अधिक संपूर्ण जीवन की तलाश कर रहे हैं। साथ ही आधुनिक मानव के व्यक्तित्व की विकास और उसी वजह से आई हुई जटिलता और उसके आलोचक मस्तिष्क के आध्यात्मिक विकास को अधिक और जटिल प्रक्रिया बना दिया है।
अतीत में ऐसा था कि थोड़ा बहुत नैतिक परिवर्तन शिक्षक या गुरु के प्रति सरल सी हार्दिक भक्ति ईश्वर के प्रति प्रेमपूर्ण सम्पूर्ण चेतना के उच्चतर तलों के और आंतरिक मिलन और कृतकृत्यता के द्वार खोलने के लिए पर्याप्त थे। अब इस प्रक्रिया में आधुनिक मानव व्यक्तित्व के अधिक विरोधाभासी और विभिन्न पहलू संलग्न है जिन्हें रूपांतरित करना तथा उनका परस्पर सामंजस्य करना जरूरी है।
इन पहलुओं में शामिल है- मनुष्य की बुनियादी वृतियां, उसके भाव और संवेग, उसकी सर्जनशील कल्पना शक्ति, उसका जिज्ञासु मस्तिष्क, उसका आक्रामक संकल्प और व्यक्तियों के सामाजिक संबंध।