हेमेंद्र जी को बदहवास हालत में दोनों बच्चों को संभालते देख उनके घर से लौटी बेचैन सुवि सोच रही थी.. पत्नी के ना रहने से घर क्या वास्तव में इतना बिखर जाता है..?'
हेमेंद्र उसके पति सौरभ के खास दोस्तों में से थे। 6 माह पूर्व पत्नी के असामयिक निधन ने उन्हें तोड़ कर रख दिया था। हेमेंद्र जी के दोनों छोटे बच्चे उसी के बच्चों के हमउम्र थे। सब कहते तो हैं कि स्त्री घर की धुरी होती है ...पर बिना उस धुरी के क्या रह जाता है.. यह वह आज महसूस करके आई थी। आज करवा चौथ होने से सौरभ ने छुट्टी ले ली थी, सो सोचा हेमेंद्र के यहां भी एक चक्कर लगा आएं...पर जब लौटे थे तो सुवि कुछ अजीब सा महसूस कर रही थी।
शाम को करवा चौथ का व्रत खोलते वक्त दिनभर (वह हमेशा ही) पति की लंबी उम्र की कामना करती हुई मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर बैठी- 'हे प्रभु..! इन्हें लंबी आयु प्रदान करना... पर मुझसे लंबी नहीं।'