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लघुकथा : ओछी मानसिकता

हमें फॉलो करें लघुकथा : ओछी मानसिकता
आरती चित्तौडा
हेलो मैडम, अचानक आगे हाथ बढ़ाते हुए बॉस ने स्वागत किया। आफिस का पहला दिन था सभी ने गर्मजोशी से काम की जिम्मेदारी और रूल्स समझाए।


न्यूकमर थी, इसलिए सभी सीनियर कुछ न कुछ काम बताने के लिए मेरे पी सी पर आ जाते। शुरुआत में यह सब अच्छा लगा। सोचा इन सब के अनुभव से काम में परफेक्शन आ जाएगा। पर यह क्या सीट पर आते ही बालों में हाथ घुमा देते और कभी-कभार हंसी मजाक में गाल को भी टच कर देते। यह सब हैरान और अचंभित करने वाला था।
 
कहने को तो मैं तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों के साथ काम कर रही थी। लेकिन यह स्पर्श उनकी ओंछी मानसिकता को उजागर करता है।

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