उस किशोर का मन नये सुविधापूर्ण घर में भी अस्थिर सा था।
' क्या बनाऊं आज तुम्हारे लिए ?'
' जो मर्जी हो। '
' अच्छा ये टी वी कहां लगवाएं ?'
' जहां आप चाहें। '
' तो आज डिनर होटल से बुलवा लें ?'
' आप ही तय कर लें। '
' सुनो ,कल से तुम बस से स्कूल जाओगे या मैं छोड़ दूं?'
' आप जैसा उचित समझें। '
' क्या हो गया तुम्हें ? क्या तुमसे कुछ भी न पूछूं ?'
' पापा से अलग होते वक्त पूछा था क्या ?'