वह पिछले दिनों बीमार थी। ऑफिस आई तो साथ की सहकर्मी सहनुभूति जताने लगी... अरे, कितनी कमजोर हो गई आप?
उसे ठंडक मिली ....
फिर जैसे ही वह पलटी उसके कानों में शब्द पड़े .. ये हमेशा ऐसी ही बीमार रहती हैं.... काम कब करती हैं...? ही ही ही, हंसी का सामुहिक स्वर...
लम्हा भर पहले की ठंडक काफूर हो गई लेकिन एक ठंडक फिर भी थी ... दोगले चरित्र पहचान लेने की...