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अज्ञात टैक्सी चालक

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हमें फॉलो करें अज्ञात टैक्सी चालक
सारंग राजदेरक
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घटना रंगपंचमी के दिन खंडवा की है। हमारे इंदौर स्थित परिवार में उस दिन गमी हो गई थी। इसलिए हमें सुबह 10-11 बजे तक इंदौर पहुँचना जरूरी था। खंडवा से इंदौर पहुँचने में साढ़े तीन घंटे का समय लगता है। हम लोग सपरिवार खंडवा बस स्टैंड पर आए तो पता चला कि आज रंगपंचमी के कारण सभी बसें बंद हैं।

हम लोग रेलवे स्टेशन पर पहुँचे परंतु ट्रेन भी कुछ समय पहले निकल चुकी थी। आखिर हमने टैक्सी से इंदौर जाने का फैसला किया। लेकिन कोई भी टैक्सी वाला इंदौर जाने को तैयार नहीं हुआ। सभी कहने लगे रंगपंचमी के दिन काफी हुड़दंग होता है। लोग हमारी गाड़ी भी खराब कर देते हैं और टूट-फूट भी हो जाती है। हम लोग निराश हो गए।

हम खड़े ही थे कि एक टैक्सी चालक हमारे पास आया और उसने हमारी परेशानी का कारण जानना चाहा। हमने उसे बताया कि हमारे परिवार में गमी हो गई है और हमें इंदौर पहुँचना जरूरी है। आप चाहे जितने पैसे ले लीजिए। इस पर उसने कहा-बात पैसों की नहीं है। मैं खंडवा का ही हूँ। यदि इंदौर पहुँच भी गया तो मुझे रातभर वहीं रहना पड़ेगा, क्योंकि वापसी में हुड़दंग और भी बढ़ जाता है और काफी परेशानी उठाना पड़ती है और गाड़ी भी खराब हो जाती है। फिर मैं यहाँ अपने दोस्तों के साथ रंगपंचमी भी नहीं मना पाऊँगा।

अब तक हम लोगों का धैर्य टूट गया था। काफी देर से रोका हुआ आवेग आँसुओं में फूट पड़ा तथा उसकी बात सुनकर परिवार के एक-दो सदस्य वहीं फूट-फूटकर रोने लगे। मुझे उन्हें संभालना तक मुश्किल हो गया। यह सब देखकर उसने तुरंत कहा, अब मेरा रंगपंचमी खेलना उतना जरूरी नहीं, जितना जरूरी आप लोगों को समय पर इंदौर पहुँचाना है। उसने तुरंत बिना मोलभाव किए हमें गाड़ी में बैठाया और हम इंदौर के लिए निकल पड़े। रास्ते में एक-दो जगह हमें परेशानी का सामना भी करना पड़ा, पर वह स्वयं लोगों के पास जाकर उन्हें बताता कि हमें इंदौर पहुँचना क्यों जरूरी है। उसके कारण ही हम लोग आगे निकल पाए।

इस तरह उसने हमें ठीक समय पर इंदौर पहुँचा दिया। वहाँ सब लोग हमारा ही इंतजार कर रहे थे। मैंने खंडवा से इंदौर का जो टैक्सी का किराया होता है, उससे सौ रुपए अधिक दिए। उसने रुपए बिना गिने रख लिए। हम लोग टैक्सी से उतरकर घर में चले गए। बाहर अंत्येष्टि की तैयारी चल रही थी। जल्दबाजी में हम उस टैक्सी चालक का शुक्रिया भी अदा नहीं कर पाए।

आज जब भी रंगपंचमी आती है तो उस अज्ञात टैक्सी चालक के प्रति मन आस्था से भर जाता है जिसने अपनी खुशी की परवाह न करते हुए हमारी इतनी मदद की और हमें सही समय पर इंदौर पहुँचा दिया।

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