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चेतना भाटी
वृद्धजन दिवस पर सोचा वृ्द्धाश्रम जाकर कुछ वृद्धों की खैर-खबर ली जाए। एक दीन-हीन, कृषकाय वृद्धा को देखकर पूछा - 'माँ जी आप यहाँ कैसे आई हैं?
'मेरे बच्चे बहुत गरीब हैं, नालायक तो हैं ही। वे अपना और अपने परिवार का ही भरण-पोषण नहीं कर पाते तो मेरा क्या करते? इसलिए मैं यहाँ आ गई।' वह बोली।
तभी एक पढ़ी-लिखी संभ्रांत-सी लगने वाली वृद्धा उधर से निकली। देखने से ही लगता था साधन-संपन्न रही होंगी।
'आप यहाँ कैसे? - आश्चर्य से पूछा।
'मेरे बच्चे बहुत, बहुत ही अमीर हैं। लायक भी हैं ही तभी तो सब के सब जाकर विदेशों में बस गए हैं। तो अकेलेपन से बचने के लिए यहाँ चली आई।' उन्होंने बताया।