-
रेखा कोठारी मैं एक नन्ही सी कोपल हूँ, जो अभी-अभी माँ की कोख में आई हूँ। मैं बहुत खुश हूँ और इस खुशी की वजह है कि चारों तरफ कन्या भ्रूण हत्या हो रही है मैं एक ऐसे घर में जन्म लेने वाली हूँ जहाँ महान समाज सेविका मेरी दादी के रूप में मुझे मिलने वाली है जो महिला है जो किसी भी गलत बात का विरोध करने में सक्षम है।
मैं खुशी से इठलाती अपनी माँ की कोख में इधर-उधर घूमती हुई अपने आपको सुरक्षित पाती हूँ लेकिन तभी मुझे कुछ खुसुर-पुसुर की आवाज आती है मेरी दादी अपनी डॉक्टर सहेली से मुझे अबार्ट करवाने की बात कर रही है और मेरी माँ चुपचाप खड़ी है।
शायद उनकी भी मौन स्वीकृति उन्हें मिल गई है और मेरा मन चीख-चीखकर रो रहा है इन सशक्त नारियों की कथनी और करनी में अंतर देखकर।
साभार : लेखिका 08