उस भव्य मकान की शानदार सी गैलरी में मकान मालिक सुबह की चाय पीने के बाद टहल रहा था। उसने अपने आलीशान भवन के साथ बने कई मध्यम तथा निम्नवर्गीय मकानों की तरफ गर्व, उदासीनता तथा उपेक्षा से भरी नज़र डाली और मन ही मन उन लोगों की गरीबी और गंदगी के बारे में सोचने लगा।
तभी अचानक पास में बनी एक नाली के पास खेल रहा छोटा सा बच्चा नाली में गिर पड़ा। बच्चे के रोने की आवाज़ तेज होती गई लेकिन वह आलीशान मकान का मालिक उस ओर केवल उचटती निगाह डालकर अंदर चला गया। बच्चे को पास ही काम कर रहे कुछ मजदूरों ने बाहर निकाला तथा उसके घर पहुँचाया।
दूसरे दिन शाही भाव से सब्जी खरीदते हुए जैसे ही उस अमीर आदमी ने जेब से पचास रुपए का नोट निकालकर ऊपर से ही सब्जी वाले की तरफ उछाला, नोट उड़ता हुआ सीधा उसी नाली में जा गिरा। गुस्से में चिल्लाता और सब्जी वाले को गालियाँ देता अमीर आदमी नीचे की ओर भागा और तेजी से जाकर नाली से नोट निकाल लाया। उसने सब्जी वाले को घूरा और नोट को अपनी बाउंड्रीवॉल पर सूखने के लिए रख दिया। पास में काम कर रहे मजदूर यह तमाशा देखकर हतप्रभ थे। वे जान गए थे कि आज के युग में किसकी कीमत ज्यादा है!