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नालायक कहीं का?

लघुकथा

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रजनीश मौनी
1. मैडम, मैं साब के साथ नहीं जाऊँगा। क्यों क्या हुआ?' 'नहीं मैडम मैं कार 8 0-90 के ऊपर नहीं चला पाऊँगा।' अच्छा मत चलाना। लेकिन वो जिद करते हैं। तुम कार रोककर उतर जाना। मैडम पिछली बार 90-100 के बाद भी उनको चैन नहीं पड़ रहा था। अब रात 1 बजे इत्ती तेज चलाएँगे तो कुछ भी हो सकता है। अच्छा-अच्छा ठीक है। एक्सीडेंट हो गया तो इल्जाम हमारे सिर आएगा, नौकरी हमारी जाएगी, उनका तो कुछ नहीं होगा। बड़े अस्पताल में आराम करेंगे, जनता में पूछ बढ़ जाएगी।

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2. क्या हुआ, ये ट्रेन यहाँ तक तो सही आ गई, सिग्नल के बाद लेट क्यों हो रही है? कोई नेता आ रहा है शायद। साब स्टेशन से फोन है ट्रेन रोक ली है आप जल्दी चलें। हाँ-हाँ चल रहे हैं। चलो ड्राइवर फुर्ती से। ट्रेन के जाते ही तमाम अफसरों की साँस में साँस आई। कार ड्राइवर को तो मानो जिंदगी मिल गई। चलो अब 2-4 दिन आराम।

3. साब की ट्रेन 4 बजे स्टेशन आ रही है, तुम पहुँच जाना। हे भगवान, कल सुबह ही तो गए थे। हाँ ड्रायवर 2 घंटे रुककर हमें राजधानी जाना है कल मीटिंग है। बंगले के बाहर खड़े अफसर, अर्दली सारे थक गए। रात 11 बजे- ड्राइवर जल्दी चलो, आप लोग भी जल्दी चलिए। अरे ड्राइवर साब कार चला रहे हो या बैलगाड़ी? जल्दी चलाओ। साब- 90-100पर चल रहे हैं। हाँ तो 20 पर चलाओ। पीछे की कार में- अरे यार ये साब तो मरवा देंगे हमको, चलो ड्राइवर उनकी स्पीड से चलो।

4. आखिर ये एक्सीडेंट हुआ कैसे? ड्राइवर ने पी रखी थी क्या? नालायक कहीं का।

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