Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिस्सा

लघुकथा

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिस्सा
नीता श्रीवास्तव
ND
बड़े साहब की पत्नी हैं तो साहब की साहबी का असर तो पड़ना ही था। साहब दफ्तर में अपना हिस्सा लेने में जागरूक हैं तो वे भी पीछे नहीं हैं। उनका शासन, आज्ञा और चौकन्नापन घर के अंदर से जारी होता है। तमाम खलासी उनकी खिदमत में तैनात रहते, रेस्टहाउस से खाना ही नहीं खानसामा तक वे साधिकार बुला लेतीं।

ऑफिशियल पार्टीज के लिए आने वाले स्नेक्स, कोल्ड ड्रिंग्स, आइस्क्रीम में उनके घर का हिस्सा होता। आदत ही पड़ गई थी हर सरकारी चीज में से हिस्सा लेने की। रेलवे कॉलोनी की सड़क बनना शुरू हुई तो तमाम गिट्टी उठवाकर अपने बंगले का ग्राउंड समतल करा कीचड़ से मुक्ति पा ली।

अब सड़क का काम अंतिम चरण पर था, बड़े-बड़े ड्रमों में डामर उकाला जा रहा था। बेचैन हो उठीं वे। क्या करें? डामर में अपना हिस्सा कैसे छोड़ देतीं? तुरंत अकल भिड़ाई और खलासी को सूप पकड़ा दिया,'जाओ...सूपे को डामर में डुबाकर ले आओ। पेंट करने की झंझट मिटेगी?' आखिरकार डामर में से भी उन्होंने अपना हिस्सा ले ही लिया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi