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(विजया एकादशी)
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भक्तों में श्रेष्ठ हनुमान

ॐ हनुमंते नमः ॐ

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अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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संकट कटै मिटे सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलवीरा।

हनुमानजी आज भी हमारे बीच हैं। कहते हैं कि मानव जाति के इतिहास में हनुमानजी से बढ़कर कोई भक्त नहीं हुआ। भक्त तो बहुत हुए, जैसे भक्त प्रहलाद, भक्त नृसिंह मेहता, भैरवनाथ, वैष्णोदेवी के भक्त श्रीधर, शिव के अनेक भक्त आदि लेकिन हनुमानजी तो ऐसे हैं जैसे पर्वतों में हिमालय।

नाम महिमा: इंद्र द्वारा वज्र से प्रहार करने से उनकी हनु (ठुड्डी) टूट जाने के कारण ही उन्हें हनुमान कहा जाने लगा। प्रहार से मूर्छित हनुमान को जल छिड़ककर पुन: सचेत कर प्रत्येक देवता ने उनको अपने-अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए जिसके कारण उनका नाम महावीर हुआ। हनुमानजी को बजरंगबली, केसरी नंदन, अंजनीपुत्र, पवनपुत्र आदि अनेक नामों से जाना जाता है।

सशरीर आज भी हैं हनुमान: वानरराज केसरी के यहाँ माता अंजनी के गर्भ से जन्मे हनुमानजी की जयंती के प्रति विद्वानों में मतभेद हैं। हनुमान के भक्त उनकी जयंती प्रथम चैत्र पक्ष पूर्णिमा और द्वितीय कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं। हनुमानजी का बचपन जितना रोचक और रोमांचक था उतनी ही उनकी युवावस्था भी। कहते हैं कि वे हिन्दुओं के एकमात्र ऐसे देवता हैं जो सशरीर आज भी विद्यमान हैं। मान्यता अनुसार कलयुग के अंत में ही हनुमानजी अपना शरीर छोड़ेंगे।

बुद्धि और बल: हनुमानजी बुद्धि और बल के दाता हैं। उत्तरकांड में भगवान राम ने हनुमानजी को प्रज्ञा, धीर, वीर, राजनीति में निपुण आदि विशेषणों से संबोधित किया है। हनुमानजी बल और बुद्धि से संपन्न हैं। उनको मानसशास्त्र, राजनीति, साहित्य, तत्वज्ञान आदि शास्त्रों का गहन ज्ञान है। उन्हें ग्यारहवें व्याकरणकार और रुद्र का अंशावतार माना जाता है। उनमें जबरदस्त विद्वता है। उनके बल और बुद्धि के अनेक उदाहरण हैं। संकटकाल में राम और उनकी सेना हनुमानजी से ही सलाह लेते थे।

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निर्भीक बनाए हनुमान: कहते हैं कि हनुमान चालीसा या हनुमान अष्टक पढ़ने मात्र से ही व्यक्ति के सारे संकट दूर हो जाते हैं। भू‍त-प्रेत निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावै। शनि के प्रकोप से बचाव के लिए हनुमानजी की भक्ति उत्तम है। कारण यह कि संजीवनी लेने जब हनुमानजी द्रोणागिरि पर्वत से लौट रहे थे तो रावण को इस बात की भनक हो चली थी।

उन्होंने हनुमानजी को वहीं रोके रखने के लिए शनि को उनके पीछे लगा दिया, लेकिन हनुमानजी ने बुद्धि और बल से शनि को अपने पैरों के नीचे कुचलकर बाँध दिया। शनि ने आखिरकार हार मानकर उनसे उन्हें छोड़ देने की याचना की तब हनुमानजी ने कहा कि इस शर्त पर तुम बच सकते हो कि जबकि कोई व्यक्ति राम का जाप करे तो तुम उसे परेशान नहीं करोगे।

बॉलीवुड के सुपरमैन: हनुमानजी का व्यक्तित्व अपने आप में पूर्ण है। उन्हें लेकर स्वतंत्र फिल्में बनी हैं, अनेक सीरियल बने हैं। सबसे रोचक यह कि अब एनिमेशन की दुनिया में भी हनुमानजी के ओज और जोशपूर्ण व्यक्तित्व का प्रवेश हो चुका है। उनको लेकर अब तक दो फिल्में बनी हैं। पहली हनुमान और दूसरी हनुमान रिटर्न्स। जय हनुमान।

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