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दशा माता व्रत 2024: जानें व्रत का रहस्य, नियम, पूजा विधि और महत्व

हमें फॉलो करें दशा माता व्रत 2024: जानें व्रत का रहस्य, नियम, पूजा विधि और महत्व

WD Feature Desk

, गुरुवार, 4 अप्रैल 2024 (10:35 IST)
Dasha Mata Fast 2024
 
HIGHLIGHTS
 
• 04 अप्रैल को दशा माता व्रत है।
• दशा माता की पूजा कैसे करें।
• दशा माता व्रत के नियम क्या है।
Dasha Mata Vrat 2024: वर्ष 2024 में दशा माता का व्रत-पर्व 04 अप्रैल, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने घर की दशा सुधारने के लिए करती हैं। पीपल की पूजा से भगवान विष्णु की पूजा भी इस दिन हो जाती है।
 
आइए यहां जानते हैं दशा माता व्रत का महत्व, नियम, पूजा विधि, व्रत का रहस्य... 
 
महत्व : धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन महिलाएं व्रत-पूजन करके गले में एक खास डोरा या पूजा का धागा पहनती है, ताकि घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और अपार धन संपत्ति बनी रहे। इस व्रत में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, यह व्रत करने से सभी तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है।

माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं किंतु जब दशा प्रतिकूल होती है, तब मनुष्य को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए इस दशा माता व्रत करने की मान्यता है। इस दिन झाड़ू आदि खरीदने की परंपरा भी प्रचलित है। 
 
व्रत के नियम- हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार चैत्र कृष्ण दशमी के दिन दशा माता का यह व्रत यदि एक बार रख लिया तो इसे जीवनपर्यंत किया जाता है और इसका उद्यापन नहीं होता है। इस व्रत को बीच में छोड़ नहीं सकते, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। यदि सेहत संबंधी समस्या या और कोई समस्या हो तो उद्यापन करने के बाद इसे छोड़ सकते हैं।
 
डोरे का रहस्य- इस दिन महिलाओं द्वारा दशा माता के पूजन के पश्चात गले में पहना गया यह डोरा विशेष महत्व रखता है, यह दशा माता का डोरा कहलाता है, जो कि साल भर गले में पहना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं दशा माता का पूजन और व्रत करके तथा इस डोरे की पूजा करके अपने गले में बांधती हैं, ताकि घर में निरंतर सुख-समृद्धि बढ़ती रहे। लेकिन यदि आप दशा माता का डोरा साल भर नहीं पहन सकते हैं तो वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में किसी अच्छे दिन इसे खोलकर रखा जा सकता है। ऐसी मान्यता है। 
 
पूजा विधि : 
• चैत्र कृष्ण दशमी तिथि को सुहागिन महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा लेकर, उसमें 10 गठानें लगाती हैं और पीपल की पूजा करती हैं। 
• दशा माता व्रत वाले दिन इस डोरे की पूजन करने के बाद कथा सुनती हैं। इसके बाद डोरे को गले में बांधती हैं। 
• दशा माता की पूजा पीपल के पेड़ की छांव में करना शुभ होता है और पीपल के आसपास पूजा का धागा भी बांधा जाता है। 
• यह व्रत जीवनभर किया जाता है और इसका उद्यापन नहीं होता है।
• पूजन के पश्चात महिलाएं अपने घरों पर हल्दी एवं कुमकुम के छापे लगाती हैं।
 
इस दिन क्या करें : 
• भोजन में नमक न लें। 
• विशेष रूप से अन्न में गेहूं का ही उपयोग करें।
• इस दिन व्रत रखना चाहिए। 
• व्रतधारी महिलाएं इस दिन एक ही प्रकार का अन्न एक समय खाती हैं। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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