Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वितीया तिथि)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण द्वितीया
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-सर्वार्थसिद्धि योग/मूल प्रारंभ
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

Dattatreya Jayanti 2020 : सद्गुरु भगवान दत्तात्रेय की जयंती

हमें फॉलो करें Dattatreya Jayanti 2020 :  सद्गुरु भगवान दत्तात्रेय की जयंती
Datta Jayanti 2020
 
भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव 29 दिसंबर को मनाया जाएगा। वे त्रिदेवों के शक्तिपुंज हैं। भगवान के प्रत्येक अवतार का एक विशिष्ट प्रयोजन होता है। श्री दत्तात्रेय के अवतार में हमें असाधारण वैशिष्ट्य का दर्शन होता है। वे योगियों के परम होने के कारण सर्वत्र गुरुदेव कहे जाते हैं। भगवान दत्तात्रय और बाल कृष्ण लीलाओं में समानता है क्योंकि दोनों ही विष्णु के अवतार हैं। 
 
अपने दोनों पुत्रों ब्रह्मा और महेश के वियोग से दुखी सती अनुसूया के दुख को दूर करने हेतु भगवान विष्णु ने अपने स्वरूप को तीन रूपों में धारण किया था। भगवान दत्तात्रेय प्रातःकाल ब्रह्मा जी के रूप में, मध्यान्ह के समय विष्णु जी के रूप में तथा शाम को शंकर जी के रूप में दर्शन देते हैं। 
भगवान दत्तात्रेय ने अवतार ग्रहण कर विश्व को चार प्रकारों के ज्ञानों का उपहार प्रदान किया। विष्णु के 24 अवतारों में उपदेशों का संकलन भगवान दत्तात्रेय के द्वारा ही प्रस्तुत किया गया था। भगवान दत्तात्रेय ने विश्व को शक्तिमान विधा की अनुपम भेंट प्रदान की। उनके द्वारा दिया गया 24 ज्ञान आज भी विश्व की धरोहर है। 
 
संसार के महान सद्गुरु भगवान दत्त महाप्रभु हैं। उन्होंने मानव कल्याण हेतु ज्ञान-विज्ञान की ऐसी अलख जगाई जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सद्गुरु कहा जाने लगा। उनका पूजन एवं स्मरण करने से संकटों का निवारण तो होता ही है साथ ही सारी मनोकामना पूर्ण होती है। 
 
यह भी कहा जाता है कि दत्तात्रय भगवान योगियों के राजा एवं ज्ञानियों के गुरु थे। वे अपने भक्तों पर कृपा करने के पहले उनकी पूर्ण परीक्षा लेते थे। एक बार राजा सहस्त्रार्जुन को भ्रमित करने के लिए दत्तात्रय ने उन्हें कई लीलाएं दिखाईं। लेकिन सहस्त्रार्जुन भ्रमित हुए बगैर दत्तात्रय के चरणों में डटे रहे। 

webdunia
Bhagvan Dattatreya
 
भगवान दत्तात्रेय अवतारी पुरुष हैं। उन्होंने एकाग्रता के साथ सत्संग करने की प्रेरणा दी। भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाले दत्त प्रभु का स्मरण करने मात्र से सारे कष्‍टों का निवारण हो जाता है। भगवान दत्तात्रेय के पीछे खड़ी गाय पृथ्वी एवं कामधेनु का प्रतीक हैं। कामधेनु हमें इच्छित वस्तु प्रदान करती हैं। भगवान दत्तात्रेय के साथ जुड़े चार श्वान- ये ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद इन चारों वेदों के प्रतीक हैं। भगवान दत्तात्रेय का पूजनीय स्वरूप औदुंबर वृक्ष है, इस वृक्ष में भगवान तत्व रूप में मौजूद रहते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लाल किताब के अनुसार गंभीर बीमारी से छुटकारा पाने के 15 उपाय