* 'दुर्गा सप्तशती' में है 700 अद्भुत प्रयोग
'दुर्गा सप्तशती' में सात सौ श्लोक हैं। जिन्हें तीन भागों प्रथम चरित्र (महाकाली), मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी) तथा उत्तम चरित्र (महा सरस्वती) में विभाजित किया गया है।
प्रयोगाणां तु नवति मारणे मोहनेऽत्र तु। उच्चाटे सतम्भने वापि प्रयोगाणां शतद्वयम्॥
मध्यमेऽश चरित्रे स्यातृतीयेऽथ चरित्र के। विद्धेषवश्ययोश्चात्र प्रयोगरिकृते मताः॥
एवं
सप्तशत चात्र प्रयोगाः संप्त-कीर्तिताः॥ तत्मात्सप्तशतीत्मेव प्रोकं व्यासेन धीमता॥
अर्थात इस सप्तशती में मारण के 90,
मोहन के 90,
उच्चाटन के 200,
स्तंभन के 200
वशीकरण और विद्वेषण के 60 प्रयोग दिए गए हैं।
इस प्रकार यह कुल 700 श्लोक 700 प्रयोगों के समान माने गए हैं।