Narmada Jayanti 2024: नर्मदा नदी मध्यप्रदेश और गुजरात की जीवनदायिनी नदी। इस नदी का जिंदा रहना जरूरी है अन्यथा इस नदी के सूखने से इसकी हजारों सहायक नदियां भी सूख जाएगी और फिर जो होगा उसे संभालना किसी के भी बस में नहीं होगा। जल संकट से हजारों तरह के संकटों का जन्म होगा। आओ जानते हैं कि नर्मदा नदी पर कितने बांध यानी डेम बना दिए गए हैं।
भारत की प्राचीन और पवित्र नदियों में से एक नर्मदा नदी करोड़ों लोगों की प्यास बुझाती है। इतने ही पुश और पक्षियों को तृप्त करती हैं और इससे 10 गुना ज्यादा पेड़ पौधों और खेत को सिंचित करती हैं। सैंकड़ों किलोमीटर तक फैली वन संपदा को जीवित रखती है और गुजरात एवं मध्यप्रदेश के वातावरण एवं मौसम में खुशनुमान बनाए रखती है, परंतु इस पर बांधे जा रहे बांध, बनाई जा रही नहरें और रेत एवं गिट्टी के लिए किया जा रहा उत्खनन इस नदी को धीरे धीरे मौत की और धकेल रहा है।
नर्मदा नदी का परिचय : नर्मदा नदी मप्रदेश के अमरकंटक से निकलकर गुजरात होते हुए खंभात की खाड़ी में लीन हो जाती है। नर्मदा जी की यह यात्रा लगभग 1,312 किलोमीटर की है। इस बीच नर्मदा विन्ध्य और सतपुड़ा के पहाड़ और जंगल सभी को पार करते हुए जाती है। नर्मदा नदी की कुल 41 सहायक नदियां हैं। उत्तरी तट से 19 और दक्षिणी तट से 22 नदियां हैं। नर्मदा की 8 सहायक नदियां 125 किलोमीटर से लंबी हैं। जैसे- हिरन 188, बंजर 183 और बुढ़नेर 177 किलोमीटर। नर्मदा बेसिन का जलग्रहण क्षेत्र एक लाख वर्ग किलोमीटर है। यह देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का तीन और मध्य प्रदेश के क्षेत्रफल का 28 प्रतिशत है। नर्मदा मध्यप्रदेश, गुजरात के अलावा राजस्थान और महाराष्ट्र को भी प्रभावित करती हैं।
नर्मदा एक पहाड़ी नदी होने के कारण कई स्थानों पर इसकी धारा बहुत ऊंचाई से गिरती है। यही कारण है कि इस नदी की यात्रा में कई जलप्रपात देखने को मिलते हैं जिसमें अनूपपूर में कपिल धारा एवं दुग्ध धारा जलप्रपात, भेड़ाघाट, जबलपुर में धुआंधार जलप्रपात, महेश्वर में सहस्रधारा जलप्रपात, दर्धी जलप्रपात, मानधाता जलप्रपात आदि।
नर्मदा के बांध :- narmada river dam: नर्मदा नदी पर खंडवा में 1. इंदिरा सरोवर, नवेगांव में 2. सरदार सरोवर, 3. महेश्वर में महेश्वर परियोजना, 4. बरगी जबलपुर में बरगी परियोजना, 5. ओंकारेश्वर में ओमकरेश्वर परियोजना बांध निर्मित हैं। 6. मान बांध (धार), 7. जोवान्न बांध (अलीराजपुर), 8. तवा बांध (होशंगाबाद) आदि मिलाकर करीब 30 बांध हैं। नर्मदा मास्टर प्लान के अनुसार, नर्मदा बेसिन में 30 बड़े, 135 मध्यम और 3,000 छोटे बांधों का निर्माण होना है। फिलहाल नर्मदा घाटी में 21 बड़ी और 23 मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के लिए छोटे-बड़े कुल 277 बांधों का निर्माण हो चुका है। इन बांधों के जरिए समूचे नर्मदा कछार में नहरों का जाल बिछ चुका है।
बांध बनाने के नुकसान :
- नर्मदा के जल का राजा है मगरमच्छ जिसके बारे में कहा जाता है कि धरती पर उसका अस्तित्व 25 करोड़ साल पुराना है। यह मीठे पानी का मगरमच्छ दुनिया के अन्य मगरमच्छों से एकदम अलग है, परंतु अब इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
- अंधाधुंध बांधों का निर्माण हुआ, अवैध खनन व जल दोहन जारी है। नर्मदा घाटी में बॉक्साइट जैसे खनिजों की मौजूदगी भी पर्यावरण से जुड़े कई संकटों की वजह बनी है।
- बांधों के निर्माण में हरसूद, धाराजी जैसे शहर के शहर डूब गए, लाखों लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक पूनासा डेम बनाने के लिए 58 लाख पेड़ों की कटाई के चलते लाखों जीव-जंतु और दुर्लभ वनस्पितियां लुप्त हो गई है।
- नर्मदा घाटी लगभग 4,000 वनस्पति, 276 पक्षी, 76 स्तनधारी, 50 सांप, 150 तितलियों और 118 मछलियों की प्रजातियों का घर है परंतु अब सभी का अस्तित्व खतरे में है।
- नर्मदा किनारे के छोटे-बड़े 52 शहरों का मलमूत्र नर्मदा में गिरता है, जिसके चलते नर्मदा का जल अब डायरेक्ट पीने लायक नहीं रहा है।