Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्थी तिथि)
  • तिथि- माघ शुक्ल चतुर्थी
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-भगवान विमलनाथ जयंती
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia

आज होगी माघ मास की समाप्ति, जानें maghi purnima का पौराणिक महत्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें आज होगी माघ मास की समाप्ति, जानें maghi purnima का पौराणिक महत्व
Maghi Purnima 2021
 
धार्मिक शास्त्रों में माघ मास का बहुत अधिक महत्व है। भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चन्द्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। इस वर्ष 29 जनवरी 2021, शुक्रवार से माघ का महीना शुरू हुआ था, जो कि 27 फरवरी, 2021 शनिवार को समाप्त होगा। माना जाता है कि इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो स्वर्ग लोक में जाते हैं। 
 
'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।'
 
पद्मपुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान करना चाहिए। 
 
'प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥'
 
माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि माघ में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुननी चाहिए यह संभव न हो सके तो माघ महात्म्य अवश्य सुनें। अतः इस मास में स्नान, दान, उपवास और भगवान माधव की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। 
 
माघ मास की अमावास्या को प्रयागराज में स्नान से अनंत पुण्य प्राप्त होते हैं। वह सब पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में जाता है। माघ मास में हरिद्धार, प्रयाग, कुरुक्षेत्र, उज्जैन, काशी, नासिक तथा अन्य पवित्र तीर्थस्थलों पर और नदियों में स्नान का बड़ा ही महत्व माना गया है। मोक्ष प्रदान करने वाला माघ का यह महीना पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है। अतः इस प्रकार माघ स्नान की अपूर्व महिमा है। महाभारत में आया है माघ मास में जो तपस्वियों को तिल दान करता है, वह नरक का दर्शन नहीं करता। माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से भक्त को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हरिद्वार कुंभ मेला : कुंभ में पहले करते थे 84 दान, जानिए दान के 10 प्रकार