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आज के शुभ मुहूर्त

(कालभैरव अष्टमी)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-श्री कालभैरव अष्टमी/ सत्य सांईं जन्म.
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
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वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी आज, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और सरल पूजा विधि

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Sankashti Chaturthi 2023 : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास का आरंभ 29 अक्टूबर 2023 से हो गया है और आज यानी बुधवार, 1 नवंबर 2023 को करवा चौथ तथा वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का खास पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन करवा माता के साथ-साथ भगवान श्री गणेश का विशेष पूजन किया जाता है। किसी भी शुभ कार्य के पहले भगवान श्री गणेश का पूजन करके उनको प्रसन्न किया जाता है। अत: आज के दिन का बहुत महत्व है। 
 
हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ या करक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है, वहीं इसी दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी का पर्व पड़ता है, जो कि हिन्दू धर्म के प्रथम पूज्य देवता श्री गणेश का दिन होता है। इस बार इस दिन बुधवार आने से भी खास संयोग बना है। 
 
करवा चौथ तथा संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है। चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का कारक माना जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे नकारात्मक विचार, दुर्भावना दूर होकर स्वास्थ्य लाभ मिलता है। चंद्रदेव की पूजा के दौरान महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोगी होने की कामना करती हैं। 
 
चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है। इसलिए भगवान श्री गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन जरूरी होता हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने सुख-समृद्धि के साथ जीवन में खुशहाली आती है।
 
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 2023 पर पूजन के शुभ मुहूर्त : 
 
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी का प्रारंभ- 31 अक्टूबर 2023, दिन मंगलवार को 1.00 पी एम से, 
वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी का समापन- 1 नवंबर 2023, बुधवार को 12.49 पी एम पर होगा। 
 
वक्रतुंड संकष्टी के दिन चंद्रोदय का समय- 1 नवंबर को 08.14 पी एम पर। 
 
1 नवंबर 2023, बुधवार का चौघड़िया
 
लाभ- 04.59 ए एम से 06.33 ए एम
अमृत- 06.33 ए एम से 08.06 ए एम
शुभ- 09.39 ए एम से 11.13 ए एम
लाभ- 03.53 पी एम से 05.26 पी एम
 
रात्रि का चौघड़िया
शुभ- 06.52 पी एम से 08.19 पी एम
अमृत- 08.19 पी एम से 09.46 पी एम
चर- 09.46 पी एम से 11.12 पी एम
लाभ- 02.06 ए एम से 03.32 ए एम,  02 नवंबर
 
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 03.27 ए एम से 04.13 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 03.50 ए एम से 05.00 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 10.48 ए एम से 11.37 ए एम
विजय मुहूर्त- 01.17 पी एम से 02.07 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.26 पी एम से 05.49 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05.26 पी एम से 06.35 पी एम
अमृत काल- 04.16 पी एम से 05.52 पी एम
निशिता मुहूर्त- 10.49 पी एम से 11.36 पी एम
 
पूजन विधि- सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत रखने का संकल्प लें। सायंकाल पूजन के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती आदि चढ़ाकर पूजा करें। चतुर्थी कथा का पाठ करके आरती करके पूजन समाप्त करें। भगवान चंद्रमा का पूजन करके अर्घ्य दें। 
 
कैसे दें चंद्रमा को अर्घ्य- चांदी या मिट्टी के पात्र में पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। सबसे पहले एक थाली में मखाने, सफेद फूल, खीर, लड्डू और गंगाजल रखें, फिर ॐ चं चंद्रमस्ये नम:, ॐ गं गणपतये नम: का मंत्र बोलकर दूध और जल अर्पित करें। सुगंधित अगरबत्ती जलाएं। भोग लगाएं और फिर प्रसाद के साथ व्रत का पारण करें।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।


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