श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। गीता कहती है कि जीवन रोने के लिए नहीं, भाग जाने के लिए नहीं है, हंसने और खेलने के लिए हैं। यह हमें संकटों से, हिम्मत से लड़ने की प्रेरणा देती है।
हम हर काम में तुरंत नतीजा चाहते हैं लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी। गीता मानव मात्र को जीवन में प्रतिक्षण आने वाले छोटे-बड़े संग्रामों के सामने हिम्मत से खड़े रहने की शक्ति देती है।
आइए जानें इस दिव्य ग्रंथ के बारे में 10 विशेष बातें...
* श्रीमद्भगवद्गीता एक दिव्य ग्रंथ है। गीता मरना सिखाती है, जीवन को तो धन्य बनाती ही है। यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।
* श्रीमद्भगवद्गीता हिन्दुओं के पवित्रतम ग्रंथों में से एक है।
* गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है।
* गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है।
* श्रीमद्भगवद्गीता की पृष्ठभूमि महाभारत का युद्ध है।
* श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्याय हैं और महाभारत का युद्ध भी 18 दिन ही चला था।
* अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।
* गीता में कर्तव्य को ही धर्म कहा है। भगवान कहते हैं कि अपने कर्तव्य को पूरा करने में कभी भी लाभ-हानि का विचार नहीं करना चाहिए।
* गीता के 700 श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान है, जो हर इंसान के सामने कभी न कभी आती हैं।
* गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए।
भगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर, गीता के ज्ञान द्वारा विश्व के मानव को पुरुषार्थ करने की प्रेरणा दी है।
प्रस्तुति - राजश्री कासलीवाल