Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(चतुर्दशी तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • व्रत/मुहूर्त-मास शिवरात्रि, शिव चतुर्दशी
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

क्यों नहीं करनी चाहिए अविवाहित नारी को शिवलिंग की पूजा?

हमें फॉलो करें क्यों नहीं करनी चाहिए अविवाहित नारी को शिवलिंग की पूजा?
देवों के देव महादेव देवताओं में सबसे श्रेष्ठ देव हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग की पूजा करना व उसे छूना कुंवारी नारियों के लिए निषेध है। आखिर इसके पीछे क्या कारण है? आइए जानते हैं। 

 
1. लिंगम एक साथ योनि (जो देवी शक्ति का प्रतीक है वा महिला की रचनात्मक ऊर्जा है) का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि शास्त्रों में ऐसे कुछ नहीं लिखा है। शिवपुराण अनुसार यह एक ज्योति‍ का प्रतीक है। 
 
फिर भी समाज में प्रचलित धारणा अनुसार शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष के द्वारा संपन्न होनी चाहिए न कि नारी के द्वारा। साथ ही विशेष रूप से अविवाहित स्त्री को शिवलिंग पूजा से पूरी तरह से वर्जित है। यह ऐसा क्यों है?
 
अगले पेज पर आइए जानते हैं इसके संबंध में और बातें...

2. किंवदंतियों अनुसार अविवाहित स्त्री को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं है। साथ ही इसके चारों ओर भी अविवाहित स्त्री को नहीं घूमना चाहिए। यह इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में व्यस्त रहते हैं। 
webdunia
 

3. जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो विधि-विधान का बहुत खयाल रखना पड़ता है। देवता व अप्सराएं भी भगवान शिव की पूजा करते समय बेहद सावधानी से उनकी पूजा करती हैं।
webdunia

यह इसलिए कि कहीं देवों के देव महादेव की तंद्रा भंग न हो जाए। जब शिव की तंद्रा भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं। इसी कारण से महिलाओं को शिव पूजा न करने के लिए कहा गया है।

4. लेकिन क्या इसका मतलब यह हुआ कि अविवाहित स्त्री शिव की पूजा कर ही नहीं सकती। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं। बल्कि अविवाहित स्त्री भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा एक साथ कर सकती हैं। 
webdunia

5. कई महिलाएं लगातार 16 सोमवारों को भगवान शिव का सोमवार व्रत रखती हैं। इस व्रत को रखने से कुंवारी महिलाओं को अच्छा वर प्राप्त होता है वहीं विवाहित महिलाओं के पति नेक मार्ग पर चलते हैं।
webdunia

6. सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। जैसा कि तीनों लोकों में भगवान शिव को एक आदर्श पति माना जाता है। इसलिए अविवाहित स्त्री सोमवार का व्रत रखती हैं और भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं उन्हें शिव के समान ही आदर्श पति मिले। 
webdunia

7. वैसे भगवान शिव का यह व्रत किसी भी सोमवार को रखा जा सकता है, लेकिन हिंदू कैलेंडर के श्रावण महीने में जो कोई भी इस व्रत को रखता है उसे भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। श्रावण का महिना उसी तरह है जिस तरह की इस्लाम में रमजान का माह। इस माह पूरे समय व्रत रखने का विधान है। 
webdunia

8. शिव पूजा के संबंध में भारत के अलग-अलग राज्यों में मान्यताएं भिन्न भिन्न हैं। दक्षिण भारत में मंदिर के भीतर पूजा सिर्फ मंदिर का पुजारी ही कर सकता है। दूसरे लोगों को यह पूजा करने की इजाजत नहीं है। वहीं उत्तर और विंध्य में पूजा खुद श्रृद्धालु करते हैं। 
webdunia

9. घरेलू पूजा में दक्षिण भारत में पुरुष भगवान शिव या शालिग्राम का अभिषेक करते हैं, वहीं महिला अभिषेक के लिए चढ़ाए जाने वाली वस्तुओं को पुरुष को देने का काम करती है।
webdunia
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi