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प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास

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अपना इंदौर

इंदौर के वातावरण को प्रदूषण-मुक्त बनाने के प्रयासों की प्रभावशाली शुरुआत 1913 ई. से हुई। उसी वर्ष यह फैसला किया गया कि शौचालयों की गंदगी गटर में बहा देने की बजाए उसे एक नियत स्थान पर एकत्रित किया जाए व गाड़ियों में भरकर उसे नगर से दूर भेजा जाए। इस व्यवस्था के अंतर्गत पंचकुइया पर ही नगर की सारी गंदगी को एकत्रित किया जाता था। नगर का विकास उत्तरोत्तर होता जा रहा था।

अत: नगर के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में जूनी इंदौर के पास गंदगी को बड़े-बड़े गड्ढों में डालने का काम 1913 में प्रारंभ हुआ। वर्तमान नई लोहा मंडी जिस जमीन पर स्थापित है, वहीं पर पुराना 'ट्रेचिंग ग्राउंड' था। नगर पालिका की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण सपाईकर्मियों को नौकरियों में नहीं रखा जा सका किंतु 1913 से ही नगर की सफाई बनाए रखने के लिए यह व्यवस्था की गई कि जो भी सफाईकर्मी या मकान मालिक अस्वच्छता के लिए दोषी पाए जाएंगे, उन्हें इंदौर नगर पालिका द्वारा दंडित किया जाएगा।
 
जैसे-जैसे पालिका की आय में वृद्धि होती गई, वैसे-वैसे पालिका ने नगर की स्वच्छता हेतु सफाईकर्मियों की सेवाएं प्राप्त करनी प्रारंभ कर दीं। 1924 तक पालिका में स्वच्‍छता व्यवस्था में 200 सफाई कामगार, 109 गाड़ीवान तथा 40 सार्वजनिक शौचालयों की सफाई करने वाले कर्मचारी कार्यरत थे।
 
1924 की बात है, नगर पालिका को दीपावली के पूर्व नगर में विशेष सफाई अभियान चलाने के लिए राज्य की ओर से 5000 रु. का विशेष अनुदान दिया गया था। पागल कुत्तों के काटने से अनेक नागरिक परेशानियों में पड़ते थे अत: 1925 से नगर पालिका ने पालतू कु्तों के पंजीयन कराने का नियम बनाया। आवारा कुत्तों को पकड़कर उसी वर्ष से जंगल में छोड़ा जाने लगा।
 
नगर के मध्य से वधशालाओं को हटाकर उन्हें रानीपुरा व नयापुरा में स्थापित किया गया।
 
स्टेट मिल से निकलने वाले दूषित पानी को निकालने के लिए पालिका ने 1926 में विशेष योजना बनाकर उस पर 6,000 रु. का व्यय किया। उसी वर्ष नगर के 10 क्षेत्रों में 2500 रु. की लागत से पक्की नालियों का निर्माण करवाया गया। साथ ही नगर की गंदगी उठाने व मार्गों पर पानी छींटने के लिए एक-एक मोटर लॉरी खरीदी गई। प्रतिदिन सायंकाल सड़कों, विशेषकर कच्ची सड़कों पर पानी छींटा जाता था ताकि धूल न उड़े।
 
पालिका द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को रोकने व स्वच्छता व्यवस्था को उन्नत बनाने के प्रभावी प्रयासों का ही परिणाम था कि नगर हैजे व महामारी जैसे संक्रामक रोगों के प्रकोप से मुक्त हो गया।

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