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पालिका से निगम तक सफर में बढ़ती गई वार्डों की संख्या

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कमलेश सेन

61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1988 के तहत मतदान की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई। इस संशोधन से यह हुआ कि 1989 में आम चुनाव में 18 से 21 वर्ष के आयु वर्ग के तकरीबन 3.5 करोड़ मतदाताओं ने पहली बार मतदान में हिस्सा लिया। और यह भी अंदेशा रहा कि कई युवा अपने नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं करवा पाए।
 
मतदाताओं के सम्मान और इस अधिकार की बात को याद रखने के लिए प्रतिवर्ष 25 जनवरी को 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' मनाया जाता है। आजादी के बाद 1950 में गणतंत्र दिवस के 1 दिन पूर्व देश में चुनाव आयोग की स्थापना की गई थी ताकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बेहतर और निष्पक्ष तरीके से लागु कर सकें। इसी याद को चिरस्थायी बनाए रखने और युवा मतदाता को आकर्षित करने के लिए मतदाता दिवस मनाया जाने लगा।
 
इंदौर में आजादी के बाद पहले स्थानीय निकाय के चुनाव मार्च 1950 में संपन्न हुए थे। इस तरह 1950 एवं 1955 में नगर पालिका और 1958 से 2022 तक 8 नगर निगमों के चुनाव हो चुके हैं। अब 2022 के नगर निगम के 9वें और स्थानीय पालिका और निगम के 11वें चुनाव में नगर की जनता अपने मत का उपयोग कर चुकी है। इस बार 12वीं बार अपने मताधिकार का उपयोग नगर की जनता करेगी।
 
नगर की बढ़ती जनसंख्या और विस्तार होने से बढ़ते क्षेत्रफल के कारण मतदाता और वार्डों में वृद्धि होती गई। 1950 में इंदौर नगर में पालिका के चुनाव में 22 वार्ड थे और मतदाताओं की संख्या 1 लाख 25 हजार थी। देखा जाए तो 1951 में इंदौर नगर का क्षेत्रफल 21.23 वर्गमील था। जाहिर है, इंदौर नगर एक छोटा-सा नगर था।
इसके बाद 1955 के नगर पालिका के चुनावों में वार्डों की संख्या 35 हो गई। पहले इंदौर नगर निगम चुनाव जो 1958 में संपन्न हुए थे, उसमें भी 35 ही रही। इसके बाद 1965 के चुनाव में वार्डों की संख्या 48 हो गई, जो 1983 में 60 और 1994 में हुए परिसीमन में यह संख्या 69 हो गई, जो 2004 एवं 2009 के चुनावों तक यही रही।
 
नगर की बढ़ती जनसंख्या और बढ़ते दायरे, नगर सीमा से लगे गावों को समाते रहने से नगर का काफी क्षेत्रफल बढ़ गया। नए परिसीमन के अनुसार नगर में वार्ड संख्या 85 हो गई। 2015 के निगम परिषद के चुनाव 85 वार्डों के तहत संपन्न हुए थे। 2011 की जनगणना के अनुसार नगर का क्षेत्रफल 266 वर्गमील के लगभग है और नगर की जनसंख्या 24 लाख 25 हजार के करीब है। मास्टर प्लान से नगर सीमा में कई गांवों को भी शामिल किया गया है।
 
2011 के बाद से नगर की जनसंख्या के साथ क्षेत्रफल भी बढ़ा है, पर 2021 में जनगणना हो नहीं पाई। कोरोना के दौर में इस प्रक्रिया में विलंब हुआ है। अब जब भी नया परिसीमन होगा, तो जाहिर है कि नगर निगम में वार्डों की संख्या में वृद्धि अवश्य होगी। इस बार भी नगर निगम चुनाव के लिए मतदाता अपने मतों से 85 वार्डों के लिए पार्षदों का चयन करेंगे।

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